सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं
बड़ा किताबी लगता है यार
इतनी बार तो देखते है सत्य का वस्त्रहरण
निराश होकर लड़ना छोड़ देता है मन
वो कहती है, डर कर भागना ठीक नहीं
सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं.
वो कहती है, जोर- जुल्म जबरदस्ती हम क्यों सहे?
अपने हक़ के लिए औरो के पैर क्यों धरे?
बिन लड़े हार जाना यहाँ की रित नहीं
सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं.
दोस्त, ये लड़ाई है हमारे हक़ की,
जो उन्होंने हम से छिना है,
विकास के नाम पर माइनिंग से
लुटा धरती का सीना है.
तेरी लड़ाई है तुझे ही लड़ना
दूजा तेरा कोई मित नहीं,
सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं.
ऐ जुल्म के जुल्मी सरदारों
मेरा तुमको आह्वान है ये,
इसके खातिर दुनिया से लादे,
यह धरती हमारी जान है ये.
तेरे एसिड से जल जाएँगे
किन्तु कभी भयभीत नहीं,
सत्य परेशान हो सकता है पर कभी पराजित नहीं.
कायर हो तुम, कर न सकोगे,
निर्भय सत्य का सामना,
देर से आओ, दुरस्त आओ,
सत्य का दामन थामना
वह सुबह कभी तो आएगी
बस यही हमारा गीत सही,
सत्य परेशान हो सकता है, किन्तु कभी पराजित नहीं.
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